Maratha Quota:निजाम-युग के दस्तावेजों की जांच करेगी समिति, रिपोर्ट जमा करने के लिए 24 दिसंबर तक बढ़ा समय – Maratha Quota Nizam-era Documents Examination Panel Gets Extension Till Dec 24

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Maratha Quota:निजाम-युग के दस्तावेजों की जांच करेगी समिति, रिपोर्ट जमा करने के लिए 24 दिसंबर तक बढ़ा समय – Maratha Quota Nizam-era Documents Examination Panel Gets Extension Till Dec 24

Maratha Quota:निजाम-युग के दस्तावेजों की जांच करेगी समिति, रिपोर्ट जमा करने के लिए 24 दिसंबर तक बढ़ा समय – Maratha Quota Nizam-era Documents Examination Panel Gets Extension Till Dec 24
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#WATCH | Mumbai: On Maratha Reservations, Union Minister Ramdas Athawale says, “Without hurting the reservations of SC, ST, and OBC, Maratha society should get the reservation… Gunaratna Sadavarte should not oppose the Maratha reservation because it does not mean that everyone… pic.twitter.com/HKxJ5FMSvt

— ANI (@ANI) October 27, 2023

आरक्षण के मुद्दे पर आमरण अनशन शुरू

रिपोर्ट जमा करने के लिए दिया गया अतिरिक्त समय का घटनाक्रम मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर बुधवार को जालना जिले में शुरू हुई अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के मद्देनजर आया है। कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने आमरण अनशन की चेतावनी दी है।

मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग

बता दें कि राज्य सरकार ने कुनबी (कृषि से जुड़ा समुदाय) को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया है। जारंगे के नेतृत्व में मराठा समुदाय, मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग कर रहा है, जिससे उन्हें आरक्षण के लिए ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जा सके।

रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनी समिति

आरक्षण से जुड़े एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में कहा गया है कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे की अध्यक्षता वाली समिति निज़ाम-युग के दस्तावेजों, वंशावली, शैक्षिक और राजस्व प्रमाणों, निज़ाम-युग के दौरान हस्ताक्षरित समझौतों और कुनबी प्रमाणपत्र देने के लिए आवश्यक अन्य संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रही है। जांच के बाद मराठवाड़ा में मराठा समुदाय के सदस्यों को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।

समिति के सदस्य पदाधिकारियों को जानिए

गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने निज़ाम-युग के दस्तावेजों में कुनबी कहे जाने वाले मराठा समुदाय के सदस्यों को जाति प्रमाण पत्र देने के लिए कानूनी और प्रशासनिक ढांचे सहित एसओपी निर्धारित करने के लिए इस पैनल का गठन किया था। इसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व), प्रमुख सचिव (कानून एवं न्याय) और संबंधित जिलों के कलेक्टर समिति के सदस्य हैं। छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) के संभागीय आयुक्त को सदस्य बनाया गया है।

कई अलग-अलग भाषाओं में हैं दस्तावेज

सरकारी अधिसूचना के अनुसार, पैनल ने दस्तावेजों की जांच में देरी का हवाला दिया क्योंकि कई उर्दू, फारसी और मोदी लिपि में हैं। इसका उपयोग पहले मराठी में आधिकारिक संचार के लिए किया जाता था। इन भाषाओं और लिपि को जानने वाले कुशल अनुवादकों की अनुपलब्धता के कारण दस्तावेजों की जांच में समय लग रहा है।

चुनाव के कारण दूसरे राज्य से दस्तावेज जुटाने में परेशानी

चूंकि मराठवाड़ा को निज़ाम की सत्ता की सीट हैदराबाद से नियंत्रित किया जाता था, इसलिए कई दस्तावेज आज भी हैदराबाद में हैं। सरकारी अधिसूचना के अनुसार, तेलंगाना में आगामी विधानसभा चुनावों के कारण, उसके अधिकारी चुनाव ड्यूटी में व्यस्त हैं, जिसके परिणामस्वरूप दस्तावेजों की जांच में देरी हो रही है।

अब तक 1.5 करोड़ दस्तावेजों का सत्यापन

अधिसूचना में कहा गया है कि पैनल को तेलंगाना में मौजूद दस्तावेजों की भी जांच करने की जरूरत पड़ेगी। तमाम कारणों को मद्देनजर रखते हुए समिति को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए और समय चाहिए। इसलिए सरकार ने 24 दिसंबर तक का विस्तार दिया गया है। सरकार के मुताबिक अब तक 1.5 करोड़ रिकॉर्ड सत्यापित किए जा चुके हैं और काम प्रगति पर है।


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