High Court :शादी-ब्याह का सीजन आते ही बड़ा फैसला, ऐसी शादी अब अवैध घोषित, बिहार का पकड़ौआ विवाह चर्चा में – Bihar News: Pakdaua Marriage Is Invalid In Bihar, Patna High Court’s Decision In A Ten Year Old Case

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High Court :शादी-ब्याह का सीजन आते ही बड़ा फैसला, ऐसी शादी अब अवैध घोषित, बिहार का पकड़ौआ विवाह चर्चा में – Bihar News: Pakdaua Marriage Is Invalid In Bihar, Patna High Court’s Decision In A Ten Year Old Case

High Court :शादी-ब्याह का सीजन आते ही बड़ा फैसला, ऐसी शादी अब अवैध घोषित, बिहार का पकड़ौआ विवाह चर्चा में – Bihar News: Pakdaua Marriage Is Invalid In Bihar, Patna High Court’s Decision In A Ten Year Old Case
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Bihar News: Pakdaua marriage is invalid in Bihar, Patna High Court's decision in a ten year old case

पटना हाईकोर्ट की जजों पर कार्रवाई
– फोटो : Amar Ujala

विस्तार


पटना हाईकोर्ट ने पकड़ौआ शादी को अमान्य बताया है। कहा है कि जबरदस्ती की गई शादी मान्य नहीं होगी। बंदूक की नोंक पर मांग भरना शादी नहीं कहलाएगी। यानी किसी भी महिला की मांग में जबरन सिंदूर लगाना हिन्दू कानून के तहत शादी नहीं है। जब तक दूल्हा और दुल्हन पवित्र अग्नि के चारों फेरे नहीं ले या दोनों के बीच सहमति न हो, तब तक शादी वैध नहीं मानी जाएगी। गुरुवार को पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार झा और जस्टिस पीबी बजंथ्री ने दस साल पहले हुए पकड़ौआ शादी के केस में सुनवाई की। कोर्ट ने पकड़ौआ शादी को अमान्य बताया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सबूत और गवाह के आधार पर पकड़ौआ विवाद को अमान्य कर दिया। 

रविकांत की शादी 30 जून 2013 को जबरन कर दी गई थी

दरअसल, नवादा निवासी रविकांत की शादी 30 जून 2013 को जबरन कर दी गई थी। वह अपने चाचा के साथ मंदिर गए थे, इसी दौरान उन्हें अगवा किया गया है। इसके बाद बंदूक के बल पर जबरन लड़की की मांग भरवाई गई। इसके बाद रविकांत ने लखीसराय के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में केस दायर किया। रविकांत ने पकड़ौआ को रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट भी गए थे। लेकिन, 27 जनवरी, 2020 को कोर्ट ने इनकी याचिका खारिज कर दी थी। रविकांत हार नहीं मानें और वह पटना हाईकोर्ट न्याय मांगने पहुंच गए। 

कथित विवाह कानून की नजर में अमान्य है

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। साथ ही कहा कि दुल्हन यह साबित करने में विफल रही कि दूल्हा और दुल्हन द्वारा सात फेरे लिए थे।  कोर्ट ने यह भी माना कि 2020 में फैमिटी कोर्ट के निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण थे। गवाही के दौरान पुजारी उस स्थान के बारे में बताने में भी सक्षम नहीं था, जहां विवाह संस्कार पूर्ण हुआ था। पुजारी को तो विवाह स्थल तक के बारे में पता नहीं। कथित विवाह कानून की नजर में अमान्य है।

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