Diabetes:डायबिटीज रोगियों के लिए खुशखबरी- शुगर कंट्रोल रखने के लिए क्या खाएं-क्या नहीं ये पता करना हुआ आसान – Iit Guwahati Developed Device That Can Detect Glycemic Index Of The Food
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स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डायबिटीज में ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने के लिए लाइफस्टाइल और आहार पर विशेष ध्यान देते रहने की सलाह दी जाती है। इसे कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि आप आहार में उन चीजों को शामिल करें जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स, एक मापक है कि कोई विशेष भोजन रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कितना बढ़ाता है। पर कैसे जानें कि किसी फल या आहार का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कितना है? इसे मापने के लिए वैज्ञनिकों ने अब एक खास डिवाइस तैयार कर ली है।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी (आईआईटीजी) ने विभिन्न खाद्य स्रोतों के ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) का पता लगाने के लिए एक पोर्टेबल, किफायती और विश्वसनीय उपकरण विकसित किया है, जो मधुमेह प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर दीपांकर बंद्योपाध्याय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने पॉइंट-ऑफ-केयर-टेस्टिंग (पीओसीटी) प्रोटोटाइप विकसित किया है जो लगभग पांच मिनट में सामान्य खाद्य स्रोतों के ग्लाइसेमिक इंडेक्स का पता लगा सकती है। इस डिवाइस की मदद से लोगों के लिए यह पता करना आसान हो जाएगा कि उन्हें किन चीजों का सेवन करना चाहिए और किनका नहीं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, ज्यादातर लोग इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि मधुमेह में किन फलों को खाया जा सकता है? हाई ग्लासेमिक इंडेक्स वाले भोजन तेजी से ब्लड शुगर को बढ़ा देते हैं।
प्रोफेसर दीपांकर कहते हैं, हमने जिस डिवाइस को विकसित किया है वह डायबिटीज के प्रबंधन में काफी मददगार हो सकती है। क्रैकर्स, बिस्कुट, चिप्स और ब्रेड जैसे फास्ट फूड पर डिवाइस का परीक्षण किया तो हमने पाया कि क्रैकर्स में सबसे अधिक तेजी से पचने योग्य स्टार्च (आरडीएस) होते हैं, इससे ब्लड शुगर के बढ़ने का खतरा रहता है।
अमेरिकन केमिकल सोसाइटी द्वारा सस्टेनेबल केमिस्ट्री एंड इंजीनियरिंग जर्नल में प्रकाशित शोध में प्रोफेसर बंद्योपाध्याय बताते हैं, खाद्य पदार्थों का रियल टाइम ग्लाइसेमिक इंडेक्स का पता चलना मददगार हो सकता है। इस डिवाइस की मदद से खाद्य पदार्थों का चयन करना आसान होगा। दुनिया की कामकाजी आबादी के बीच फास्ट फूड का चलन बढ़ने के साथ ही इस तरह के पोर्टेबल डिवाइस की आवश्यकता थी।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिस तरह से दुनियाभर में डायबिटीज रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है, हमारे लिए आवश्यक है कि कम उम्र से ही इससे बचाव को लेकर अलर्ट रहें। लाइफस्टाइल की गड़बड़ी के कारण 30 से कम का आयु और बच्चों में भी इस क्रोनिक बीमारी के बारे में पता चल रहा है। डायबिटीज की स्थिति कई और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हृदय रोग, मेटाबॉलिज्म और मोटापे की समस्या बढ़ाने वाली हो सकती है, जिसका मतलब यह संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या है।
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स्रोत और संदर्भ
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