Bollywood 365x24x7:दिल्ली मुंबई में कहीं नहीं कोई सुनने वाला, इस इंडस्ट्री में एक दिन की भी छुट्टी नहीं होती – Bollywood 365x24x7 There Is No One To Listen In Delhi And Mumbai No Holiday In This Industry

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Bollywood 365x24x7:दिल्ली मुंबई में कहीं नहीं कोई सुनने वाला, इस इंडस्ट्री में एक दिन की भी छुट्टी नहीं होती – Bollywood 365x24x7 There Is No One To Listen In Delhi And Mumbai No Holiday In This Industry

Bollywood 365x24x7:दिल्ली मुंबई में कहीं नहीं कोई सुनने वाला, इस इंडस्ट्री में एक दिन की भी छुट्टी नहीं होती – Bollywood 365x24x7 There Is No One To Listen In Delhi And Mumbai No Holiday In This Industry
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देश की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री इकलौती ऐसी इंडस्ट्री है, जहां पर कभी छुट्टी नहीं होती। न होली, न दिवाली, न ईद, न क्रिसमस। यहां तक कि राष्ट्रीय पर्वों तक पर लोग काम पर लगे रहते हैं। इसी साल की शुरुआत में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाली तमाम यूनियनों की फेडरेशन यानी कि फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज ने रविवार को शूटिंग बंद रखने के साथ ही सूची जारी करके साल में 12 और छुट्टियों का ऐलान किया था, लेकिन फेडरेशन की कौन कितनी सुनता है, ये इसी बात से जाहिर है कि इस सूची के जारी होने के 10 महीने बाद भी छुट्टियां लागू नहीं हो पाई हैं। निर्माताओं की संस्था फेडरेशन को मानती ही नहीं हैं और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर महाराष्ट्र में अमल हो पाना कितना मुश्किल है, ये भी इस मामले से समझ आ जाता है।

 




हिंदी फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में काम करने वाले कामगारों, तकनीशियनों  की संस्था फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज ने जनवरी महीने में  साल में अनिवार्य छुट्टियों की सूची जारी की थी, जिसमें महीने के हर रविवार की छुट्टी के अलावा साल भर में 12 और छुट्टियों का ऐलान किया गया था। लेकिन अभी तक फिल्म में काम करने वाले कामगारों, तकनीशियनों के लिए ये छुट्टियां लागू नहीं हुई हैं। इस मामले में निर्माताओं की सबसे बड़ी संस्था इम्पा के अध्यक्ष अभय सिन्हा कहा, ‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज की इस पहल से हमारी  संस्था का कुछ लेना देना नहीं है। हमारी  संस्था सिर्फ निर्माताओं की समस्या का ध्यान देती है और उसका निवारण करती है।’


फिल्म निर्माताओं  दूसरी संस्था वेस्टर्न इंडिया फिल्म प्रोड्यूसर एसोसिएशन के तरफ से भी यही जवाब मिला। वेस्टर्न इंडिया फिल्म प्रोड्यूसर एसोसिएशन के कमेटी मेंबर रविन्द्र अरोरा ने कहा, ‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज से उनकी संस्था का कुछ भी लेना देना नहीं है, हमारी संस्था अब फेडरेशन के अंतर्गत नहीं आती है। इसलिए फेडरेशन के काम में न तो उनकी संस्था का  कोई  सुझाव होता है और ना ही उनके कार्यों में कोई हस्तक्षेप होता है।’ 


फेडरेशन के नेताओं की मानें तो ये मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक जा चुका है। फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वालों को भी मानवाधिकार मिलने की बात मानते हुए उसने राज्य मानवाधिकार आयोग निर्देश भी दिया था कि वह फेडरेशन, राज्य सरकार और निर्माताओं के प्रतिनिधियों की एक कमेटी गठित करे और फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वालों के लिए छुट्टियों की व्यवस्था लागू करने की पहल करें। इस काम के लिए तय तीन महीने की मियाद कब की पूरी हो चुकी लेकिन हिंदी फिल्में और सीरीज बनाने वाले निर्माता न तो इस बारे में कोई विचार कर रहे हैं और न ही फेडरेशन को ही कोई तवज्जो दे रहे हैं।


इस बारे में फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज के अध्यक्ष बी एन तिवारी कहते हैं, ‘इस दिशा में हमारे प्रयास निरंतर जारी है लेकिन सरकार के पास हमारे लिए सोचने का समय नहीं है। अब दिवाली के बाद हम लेबर कमीशन और महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर इस बारे में अवगत कराएंगे।’  


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