यूक्रेन की सहायता करना Us को पड़ा भारी!:रूसी सदन ने परमाणु परीक्षण से हटाई रोक, अब पुतिन की मंजूरी का इंतजार – Putin’s Nod Awaited As Russian Council Approves Bill To Revoke Nuclear Test Ban Treaty

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यूक्रेन की सहायता करना Us को पड़ा भारी!:रूसी सदन ने परमाणु परीक्षण से हटाई रोक, अब पुतिन की मंजूरी का इंतजार – Putin’s Nod Awaited As Russian Council Approves Bill To Revoke Nuclear Test Ban Treaty

यूक्रेन की सहायता करना Us को पड़ा भारी!:रूसी सदन ने परमाणु परीक्षण से हटाई रोक, अब पुतिन की मंजूरी का इंतजार – Putin’s Nod Awaited As Russian Council Approves Bill To Revoke Nuclear Test Ban Treaty
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Putin’s nod awaited as Russian Council approves bill to revoke Nuclear Test Ban Treaty

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

विस्तार


यूक्रेन से चल रहे युद्ध के बीच रूस की संसद ने परमाणु परीक्षण को लेकर एक अहम फैसला लिया है। दरअसल, निचली सदन के बाद अब रूसी संसद के ऊपरी सदन ने भी बुधवार को वैश्विक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध के अनुमोदन को रद्द कर दिया। यानि अब रूस नया परमाणु परीक्षण करने के लिए स्वतंत्र हो गया है। हालांकि, इस कदम से मॉस्को और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ जाएगा।

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पास विधेयक जाएगा

रूस ने अपने इस फैसले को अमेरिका के साथ समानता स्थापित करने का एक कदम बताया है। फेडरेशन काउंसिल ने समग्र परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) के अनुमोदन को रद्द करने वाले विधेयक को पारित किया। अब इस विधेयक को अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पास भेजा जाएगा।

23 साल पहले लिए फैसले को रद्द करेगा

निचले सदन ने पिछले सप्ताह इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। पुतिन ने इस महीने की शुरुआत में चेतावनी दी थी कि मॉस्को अमेरिका के रुख की बराबरी के लिए संबंधित विधेयक को मंजूरी देने के अपने 2000 के फैसले को रद्द कर सकता है। रूस का आरोप था कि अमेरिका ने परमाणु परीक्षण प्रतिबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन इसका अनुसरण नहीं किया। वर्ष 1996 में अपनाया गया सीटीबीटी, दुनिया में सभी परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाता है। हालांकि, यह संधि कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं हुई।

वैश्विक संकट की आशंका

मौजूदा समय में रूस और अमेरिका के बीच तनाव 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के बाद किसी भी दौर से अधिक है। ऐसे में रूस, अमेरिका या दोनों देशों के द्वारा परमाणु परीक्षणों को फिर से शुरू करना पूरी दुनिया को अत्यधिक अस्थिर करने वाला होगा। रूस को सोवियत संघ के परमाणु हथियार विरासत में मिले हैं। पुराने सोवियत संघ से मिले इन्हीं हथियारों की बदौलत रूस के पास दुनिया का एटमी हथियारों का सबसे बड़ा जखीरा है। ऐसे में यह तनाव वैश्विक संकट खड़ा कर सकता है।

यूक्रेन को सैन्य सहायता देना…

रूस के इस फैसले से अमेरिका और यूक्रेन दोनों बौखला गए हैं। दरअसल, रूस ने ये कहा है कि जिस अनुमोदन को उसने रद्द करने का फैसला किया है, उसे चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, ईरान और मिस्र द्वारा इस संधि का अनुमोदन किया जाना बाकी है। माना जा रहा है कि रूस पश्चिम को यूक्रेन को सैन्य सहायता जारी रखने से हतोत्साहित करने के लिए परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने के लिए कदम उठा सकता है। 

सीटीबीटी के बाद से अब तक 10 परमाणु परीक्षण

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 1945 और 1996 की व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि के बीच पांच दशकों में, 2,000 से अधिक परमाणु परीक्षण किए गए। इनमें से 1,032 अमेरिका ने और 715 सोवियत संघ ने किए। सोवियत संघ ने अपने विघटन से पूर्व आखिरी बार 1990 में परीक्षण किया, जबकि अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में परीक्षण किया था। सीटीबीटी के बाद से अब तक 10 परमाणु परीक्षण हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत ने 1998 में दो, पाकिस्तान ने भी 1998 में दो और उत्तर कोरिया ने 2006, 2009, 2013, 2016 (दो बार) और 2017 में परीक्षण किए।

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